मिश्रित खेती एक साथ कई फसलें उगाने के लाभ | Mishrit Khetee Ek Saath Kaee Phasalen Ugaane Ke Laabh

मिश्रित खेती एक साथ कई फसलें उगाने के लाभ


मिश्रित खेती (Mixed Farming) एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें एक ही खेत में एक से अधिक फसलें उगाई जाती हैं या कृषि और पशुपालन को साथ मिलाकर किया जाता है। यह पद्धति न केवल किसानों की आय को बढ़ाती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, जल संसाधनों के उचित उपयोग और कृषि जोखिम को कम करने में भी मदद करती है।



 

मिश्रित खेती क्या है?


मिश्रित खेती वह कृषि प्रणाली है जिसमें विभिन्न प्रकार की फसलें एक साथ उगाई जाती हैं या कृषि और पशुपालन को एकीकृत किया जाता है। इसे दो भागों में बांटा जा सकता है:


1. फसली मिश्रित खेती: एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाना।


2. समेकित कृषि प्रणाली: कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन आदि को मिलाकर किया जाने वाला कार्य।


मिश्रित खेती के प्रकार


1. फसली मिश्रित खेती (Crop Mixed Farming)


इस प्रणाली में किसान एक ही खेत में अलग-अलग फसलों को एक साथ उगाते हैं। उदाहरण के लिए:


. गेहूं और चना


. मक्का और मूंगफली


. बाजरा और अरहर


2. पशुधन आधारित मिश्रित खेती (Livestock Mixed Farming)


इस प्रणाली में खेती के साथ पशुपालन भी किया जाता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होती है। उदाहरण:


. गाय, भैंस, बकरी आदि का पालन


. डेयरी उद्योग


. मुर्गी पालन


3. मत्स्य पालन और कृषि का संयोजन (Aquaculture and Agriculture)


इस प्रणाली में जलाशयों या तालाबों में मछली पालन किया जाता है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ती है। साथ ही, मछली पालन से प्राप्त कचरे का उपयोग खेतों में जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है।


मिश्रित खेती के लाभ


1. जोखिम में कमी


अगर किसान केवल एक ही फसल उगाता है और किसी कारणवश वह फसल नष्ट हो जाती है, तो उसे भारी नुकसान हो सकता है। लेकिन मिश्रित खेती में एक से अधिक फसलें होने के कारण नुकसान की संभावना कम हो जाती है।


2. मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि


मिश्रित खेती में विभिन्न फसलों के रोपण से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। उदाहरण के लिए, दलहनी फसलें (जैसे चना, मूंग) मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाने में सहायक होती हैं।


3. संसाधनों का प्रभावी उपयोग


मिश्रित खेती में जल, उर्वरक, श्रम और भूमि का बेहतर उपयोग होता है। अलग-अलग फसलों की जड़ों की गहराई अलग-अलग होती है, जिससे पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग होता है।


4. आय में वृद्धि


चूंकि किसान कई तरह की फसलें उगाते हैं और पशुपालन भी करते हैं, इसलिए उनकी आमदनी का एकमात्र स्रोत न रहकर कई स्रोत हो जाते हैं, जिससे आर्थिक सुरक्षा बढ़ती है।


5. कीट और रोग नियंत्रण


मिश्रित खेती में कीटों और बीमारियों के फैलने की संभावना कम होती है क्योंकि अलग-अलग प्रकार की फसलें होने से एक ही प्रकार के कीटों और बीमारियों का प्रकोप नियंत्रित रहता है।


6. जैव विविधता का संरक्षण


यह पद्धति जैव विविधता को बढ़ावा देती है क्योंकि इसमें कई प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं और विभिन्न प्रकार के जीवों को आश्रय मिलता है।


7. जल संरक्षण


कुछ मिश्रित फसलें कम पानी में भी अच्छी तरह से बढ़ सकती हैं, जिससे जल की बचत होती है। उदाहरण के लिए, बाजरा और अरहर की मिश्रित खेती सूखे क्षेत्रों में लाभकारी होती है।


8. पर्यावरणीय स्थिरता


रासायनिक खाद और कीटनाशकों के कम उपयोग से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जैविक खेती को अपनाने वाले किसान मिश्रित खेती का प्रयोग अधिक करते हैं।


मिश्रित खेती अपनाने के लिए आवश्यक बातें


1. फसलों का सही चुनाव करें: ऐसी फसलें चुनें जो एक-दूसरे के साथ सहजीवन संबंध में रहें।


2. मौसम और मिट्टी के अनुसार योजना बनाएं: सही फसलें और पशुपालन के तरीके चुनें।


3. जल प्रबंधन पर ध्यान दें: सिंचाई की सही व्यवस्था करें ताकि सभी फसलों को उचित पानी मिले।


4. समय पर कृषि कार्य करें: बुवाई, कटाई और खाद देने का उचित समय चुनें।


5. पशुपालन का सही प्रबंधन करें: चारे, दवाईयों और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।



निष्कर्ष


मिश्रित खेती किसानों के लिए लाभकारी कृषि प्रणाली है जो न केवल उनकी आय में वृद्धि करती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, पर्यावरण संरक्षण और जल प्रबंधन में भी सहायक होती है। सही योजना और प्रबंधन से किसान इस प्रणाली को सफलतापूर्वक अपना सकते हैं और अपने कृषि उत्पादन को अधिक टिकाऊ बना सकते हैं।

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